एसईसीएल की तानाशाही रवैया को देखते हुए किसान बंद करेंगे खदान

एसईसीएल की तानाशाही रवैया को देखते हुए किसान बंद करेंगे खदान, भूपेश शर्मा 

 

जानकारी अनुसार लगातार रामपुर के किसानों के साथ झूठा आश्वासन देकर एसईसीएल प्रबंधन एवं उनके ही बात को मानकर गाहे ,बगाहे जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की भी घोर लापरवाही देखी जा रही है छोटी-छोटी समस्याओं को बताकर रोजगार की फाइलों को लंबे समय से रोक कर रखा गया है जिसकी जांच की जा सकती है जैसे किसान नाराज होकर ज्ञापन देते हैं तुरंत ही महाप्रबंधक महोदय सहित सवेरिया मैनेजर बैठक बुलाकर जैसे नेताओं का आश्वासन मिलता है हो जाएगा, कर देंगे ,देख लेंगे, कई मुद्दों पर तो एक सप्ताह के अंदर समस्या का समाधान करेंगे यह कहा गया लेकिन सच में किसानों के साथ घोर अन्यया किया जा रहा है बीते 20 दिन पहले ज्ञापन देकर टाइम दिया गया था मुआवजा रुका हुआ तत्काल भुगतान किया जाए कोर्ट से निराकरण होकर आए फाइलों का समाधान जल्द ही किया जाए पुनर्वास, एवं पुनर्स्थापना, को लेकर लगातार कई वर्षों से किसान भीख की तरह मांग रहे हैं और इतना ही नहीं कह रहे हैं हमारे मकान का मुआवजा पुनर्वास पुनर्स्थापना देकर हमें मुक्त कर दें और आप जैसा मन करें वैसा खदान चलाएं इसके साथ ही एसईसीएल में काम करने के लिए अमरबेल ढोलू कंपनी आई हुई है जो बुरी तरह स्थानीय किसानों का शोषण कर रही है उसे भी कोई बोलने वाला नहीं है ढोलू कंपनी के जिम्मेदार पर्सन मंत्री और विधायकों की तरह आश्वासन देते हैं इसके बाद अपनी ही बातों और जब कभी महाप्रबंधक महोदय जी से सांवरिया मैनेजर महोदय से समस्याओं को लेकर बात करिए तो बस जल्दी ही निराकरण करेंगे लेकिन सच में किसानों के ऊपर जो बीत रही है उसे यहां खाने में संकोच नहीं खदान से कोयला निकालकर सोहागपुर एरिया को बिलासपुर मुख्यालय से लेकर दिल्ली कोल मंत्रालय तक अवार्ड प्राप्त हुआ लेकिन किसानों के लिए जब भी कोई बात आती है तो रोजगार दे तो रहे हैं साहब अगर हम रोजगार की बात भी करते हैं तो रामपुर, खाड़ा, कोदेली, इन सभी गांव को मिलाकर लगभग 2000 रोजगार सृजित करना है अभी कल 500 रोजगार ही प्राप्त हो पाया है इसके मतलब कल 25% रोजगार किसानों को मुहैया करा कर मैनेजमेंट अपने पीठ थपथपा रही है हम यहां पर तो भी रोजगार के लिए बधाई देते हैं लेकिन किसानों के रुके हुए मुआवजा पुनर्वास पुनर्स्थापना को लेकर किसान जब भी सड़क पर उतरते हैं तो किसानों के ऊपर फर्जी मुकदमे लगा दिए जाते हैं और तो और करोड़ों रुपए का नुकसान की भरपाई करने का जुर्माना भी करते हैं एक,, कहावत है, जबरा मारे रोबय ना दे,, यहां चरितथ हो रहा है प्रारंभ में ही अपने हाथ की चन हम लोगों ने सहायता से एसईसीएल के पाले में फेंक दिया और अब उसे मिट्टी और कोयले में मिला दिया गया डीआरसी के समय किसानों को यह कहा गया था खदान तब खोलेंगे जब आप लोगों को विस्थापित कर बसा देंगे प्राइवेट कंपनी चालू करेंगे तो 70% गांव के किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी नौकरी और मुआवजा 3 महीने के अंदर पूरा कर दिया जाएगा कहां गई यह शर्तनामा किसान आने वाले एक-दो दिन में इसको ढूंढने के लिए सड़क पर उतरेंगे आप किसानों को कहीं किसी के पास बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि जो कागजी कार्यवाही है उसे लिखकर किसानों ने उपमुख्यमंत्री से लेकर जिला प्रशासन सी एम डी साहब और जो भी यहां के कर्ताधर्ता है उन सबको सौंप दिया गया है अब लड़ाई आर पार की होगी जिसकी समस्त जवाबदारी एसईसीएल प्रबंधन एवं जिला प्रशासन की होगी प्रेस के माध्यम से चेतावनी नहीं बल्कि सच्चाई कहा जा रहा है हमारे यहां के स्थानीय बच्चों को अधिकारियों के द्वारा अलग-अलग तरह से धमकी दी जाती है कि अभी तो अंडरग्राउंड खदान में भेज रहे हैं जरा भी गांव की हित की बात करोगे अपना अधिकार मांगोगे तो कहां भेज दिए जाओगे आप सबके सोच से बाहर हैं सच कहें तो खुलेआम मानव अधिकार का हनन किया जा रहा है जबकि जॉइनिंग के समय साक्षात्कार में यह कहा गया था की सोहागपुर एरिया से कुसमुंडा एरिया जाएंगे खुली खदान में जब भी वापस आएंगे खुली खदान ही भेजा जाएगा और कोई छोटे-मोटे कर्मचारियों के द्वारा नहीं बल्कि सोहागपुर के मुखिया महाप्रबंधक महोदय भरे बैठक में घोषणा किए थे, आप कहां गया शर्त नामा 1 से 2 वर्षों में किसानों के अस्तित्व को रोजगार उपलब्ध होता है इसके बाद साक्षात्कार और मेडिकल करने के पहले सूची को दो-दो महीने तक कहां रखते हैं पता नहीं और वही प्रबंधन के अधिकारियों के द्वारा जब चिट्ठी बनती है और कोई बात आ जाती है तो कहते sहैं एक-एक दिन सीनियारिटी और वेतन के लिए महत्वपूर्ण होता है तो क्या किसानों को कई तरह से शोषण किया जाता है यह भी किसान जानना चाहेंगे अगर सी सी एल प्रबंधन के सच्चाई को सामने रखा जाए तो कई अखबार के पेज भरेंगे और पूरी किताब बनेगी किसानों के लिए मजबूरी है कि देश की चौथा स्तंभ कहे जाने वाला इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया जो थोड़ी भी किसानों के दर्द को समझ पाते हैं वह जरूर अपने लिखने के द्वारा इसे समाज के सामने लाते हैं उसका प्रभाव पड़ता है और किसानों का रुका हुआ काम एक कदम आगे बढ़ता है और इसके अलावा हमारे यहां के जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों के द्वारा आज तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया कि किसानों को रोजगार नहीं तो कोयला नहीं तो खदान नहीं बल्कि जब किसान नाराज होकर सड़क पर उतरते हैं उन्हें रोकने के लिए हमारे जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों का हर तरह से दबाव किसानों के ऊपर आता है उकतासे की जानकारी देते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व किसान भूपेश शर्मा, सरपंच ग्राम पंचायत रामपुर श्रीमती प्रीमियम बैग जनपद सदस्य श्री चंद्र कुमार तिवारी जिला पंचायत सदस्य श्रीमती शांति मनमोहन चौधरी वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता वह भाजपा नेता सांसद प्रतिनिधि श्री राजकमल मिश्रा श्री आनंद त्रिपाठी श्री आदित्य त्रिपाठी राजाराम मिश्रा राजेश सोनी पूर्व उपसरपंच पूर्व जनपद सदस्य नाम साईं राठौर पांच बृजेश गुप्ता वरिष्ठ नागरिक श्री मूलचंद गुप्ता श्री ओमप्रकाश द्विवेदी पूर्व सरपंच झूले बेग पूर्व सरपंच वर्तमान पांच प्रमोद बैग बाबूलाल साहू रमेश साहू लवकुश साहू ब्रजकिशोर साहू रमाकांत हीरामणि श्री राम अखिलेश तिवारी राघवेंद्र मिश्रा मिस्टर महाराज पांच मुन्नी बैगा राम सजन बैग ऋषभ गौतम सहित गांव के समस्त प्रताड़ित किसने ने आंदोलन करने हेतु सड़क पर उतरने को तैयार हुए हैं 24 घंटे के अंदर किसने की एक बैठक होगी इसके उपरांत खदान को अनिश्चितकालीन के लिए बंद करेंगे एसईसीएल प्रबंधन पुलिस प्रशासन जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से आग्रह है कि किसानों की समस्याओं को नजर अंदाज नहीं करें अन्यथा किसानों की नाराजगी भारी पड़ेगी

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Author: Apni Khabar24x7

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