कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी के नियमों को दरकिनार कर, किया जा रहा है रोड सेल कोयला छंटवाने और स्टीम कोल की चोरी से उजागर होता भ्रष्टाचार

मामला कोल इंडिया का,

आमाडाड़ ओसीपी में खनन माफिया का राज, दिहाड़ी मजदूरों से करवा रहे है गैरकानूनी कार्य

कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी के नियमों को दरकिनार कर, किया जा रहा है रोड सेल कोयला छंटवाने और स्टीम कोल की चोरी से उजागर होता भ्रष्टाचार

अनूपपुर : कोतमा – कोल इंडिया लिमिटेड की सह कंपनी एसईसीएल के जमुना -कोतमा क्षेत्र अंतर्गत आमाडाड़ ओसीपी से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ खनन क्षेत्र में न केवल मानवाधिकारों की अनदेखी की जा रही है, बल्कि सरकारी कोयले की चोरी और भ्रष्टाचार का खेल भी खुल रहा है। आमाडाड़ ओसीपी में गैरकानूनी रूप से काम कराए जा रहे दिहाड़ी मजदूरों को भारी खतरों वाले कोयला छंटाई कार्य में झोंका गया है। इन मजदूरों को बिना किसी प्रशिक्षण, सुरक्षा उपकरण या तकनीकी देखरेख के भारी मशीनों के आस-पास खड़ा कर कोयले की छंटाई करवाई जा रही है। यह कार्य खतरनाक परिस्थितियों में होता है, जिसमें जान जोखिम में रहती है, लेकिन प्रबंधन और प्रशासनिक तंत्र मौन है।

 

दुर्घटना में जिम्मेदार कौन

 

सबसे बड़ा सवाल यही है की अगर किसी मजदूर के साथ कोई दुर्घटना होती है, तो प्रबंधन उसका ज़िम्मेदार कौन होगा? इन मजदूरों को नियुक्त करने या उनसे यह काम करवाने की कोई आधिकारिक अनुमति ही नहीं ली गई है। ऐसे में प्रबंधन ना तो इन्हें अपना कर्मचारी मानेगा, ना ही अधिकृत मजदूर। उल्टा, अगर कोई हादसा होता है तो यही मजदूर “कोयला चोर” करार दिए जाएँगे, और प्रबंधन सारा दोष उनके सिर मढ़कर अपना पल्ला झाड़ लेगा, यह न केवल अनैतिक है, बल्कि पूरी तरह अमानवीय और गैरकानूनी भी।

 

गैरकानूनी नियुक्ति, गैरकानूनी काम

 

खास बात यह है कि कोल इंडिया के नियमों के अनुसार “कोयला छांटने” जैसा कोई पद या कार्य आधिकारिक रूप से स्वीकृत ही नहीं है। फिर भी, यह कार्य आमाडाड़ ओसीएम में निरंतर जारी है, जो कि पूरी तरह अवैध और गैरकानूनी है। यह इस बात का संकेत है कि खदान प्रबंधन और कुछ ठेकेदारों के बीच मिलीभगत से नियमों को ताक पर रखकर निजी हित साधे जा रहे हैं।

 

स्टीम कोल की सुनियोजित लूट

 

आमाडाड़ ओसीपी से निकले रोम (रन ऑफ़ माइन) कोयले में अलग-अलग ग्रेड के कोयले का मिश्रण होता है, जिसमें स्टीम कोल यानी कोयले के बड़े बड़े बड्डे जो की देर तक जलते हैं जो की कीमती और मांग वाले होते है। आरोप है कि रोम से पहले ही अच्छे ग्रेड के स्टीम कोल को छांटकर मनचाहे ठेकेदारों और कंपनियों को बेचा जा रहा कंपनियाँ सस्ती दरों पर इस कोयले को पाती हैं और कागज़ों में इसे कम गुणवत्ता वाला दिखा कर मुनाफा बटोरती हैं।

 

सरकारी राजस्व को भारी नुकसान

 

इस पूरी प्रक्रिया में सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। पारदर्शिता और निगरानी के अभाव में खदानों से निकला कोयला अवैध रूप से निजी हाथों में पहुंचता है, जबकि आम जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिलता। यह खनन क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियंत्रित व्यवस्था का गंभीर संकेत है।

 

प्रशासनिक चुप्पी व जवाबदेही का अभाव

 

जब इस मामले पर खदान प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन से सवाल किए गए, तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। यह चुप्पी कहीं न कहीं मिलीभगत को दर्शाती है, जिससे यह संदेह और गहरा हो जाता है कि यह सारा तंत्र योजनाबद्ध तरीके से खड़ा किया गया है।

महाप्रबंधक जमुना कोतमा क्षेत्र प्रभाकर राम त्रिपाठी आमाडाड ओसीपी सब एरिया मैनेजर विपिन कुमार एवं रोड सेल प्रभारी फयाज अली को कई बार फोन किया गया किंतु जवाब देने के लिए तीनों अधिकारियों द्वारा फोन नहीं उठाया गया।

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Author: Apni Khabar24x7

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