विकास के नाम पर घोटाला: निष्क्रिय फर्मों को ग्राम पंचायत से हो रहा है भुगतान पुष्पराजगढ़ में पंचायत भ्रष्टाचार की पोल खुली – जांच की मांग हुई तेज
संवाददाता मनीष अग्रवाल पुष्पराजगढ़
पुष्पराजगढ़। जनपद की कई ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पंचायतों द्वारा जिन फर्मों से निर्माण सामग्री खरीदी जा रही है, वे फर्में कागजों पर तो सक्रिय दिख रही हैं, लेकिन वास्तव में पिछले दो वर्षों से जीएसटी रिटर्न तक दाखिल नहीं कर रही हैं। इसके बावजूद, इन निष्क्रिय फर्मों को लाखों रुपये का भुगतान किया जा रहा है।
ऑनलाइन जांच में हुआ खुलासा
जब कुछ जागरूक नागरिकों ने फर्मों की स्थिति को ऑनलाइन जांचा, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जीएसटी पोर्टल पर इन फर्मों की न तो कोई हाल की टैक्स फाइलिंग दिखी, न ही कोई ऑडिट रिकॉर्ड। ऐसे में सवाल उठता है कि जब फर्म निष्क्रिय हैं, तो पंचायतें कैसे इन्हें भुगतान कर रही हैं?
कई नियमों का उल्लंघन
जानकारों का कहना है कि यह स्थिति पंचायत राज अधिनियम, पंचायत लेखा नियम 1999, जीएसटी अधिनियम 2017, और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 का स्पष्ट उल्लंघन है। पंचायतों को केवल वैध, टैक्स अनुपालक और सक्रिय फर्मों से ही सामग्री क्रय करने की अनुमति है। निष्क्रिय फर्मों से लेनदेन करना सरकारी धन का दुरुपयोग और संभावित मिलीभगत की ओर संकेत करता है।
ग्रामीणों में आक्रोश, जांच की मांग तेज
ग्रामवासियों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है और इसके पीछे पंचायत सचिवों, सरपंचों और इंजीनियरों की मिलीभगत हो सकती है। ग्रामीणों ने स्वतंत्र जांच, सीवीसी या लोकायुक्त हस्तक्षेप, तथा जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
प्रशासन मौन, जवाब का इंतज़ार
अब तक इस मामले में स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह घोटाला एक बड़े आर्थिक अपराध का रूप ले सकता है, जिससे विकास योजनाओं की साख पर भी प्रश्नचिह्न लग जाएगा।
