अमरकंटक के बाजार में गिरते शेड, जान जोखिम में डाल रहे व्यापारी और तीर्थयात्री व्यवस्था गूंगी, चेतावनी के बाद भी नहीं जागा प्रशासन
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अमरकंटक। मां नर्मदा की उद्गम स्थली अमरकंटक के वार्ड क्रमांक 10 स्थित पुराने मेला ग्राउंड में संचालित साप्ताहिक बाजार इन दिनों खतरे की जमीन पर खड़ा है। जहां कभी 24 लाख रुपये की लागत से व्यापारियों और श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु चबूतरों और शेडों का निर्माण हुआ था, वहीं आज वही ढांचा जर्जर होकर दुर्घटनाओं को न्योता दे रहा है।
करीब दस से बारह वर्ष पूर्व मंडी बोर्ड की निधि से शासकीय उद्यान अमरकंटक द्वारा इस स्थल पर 20 चबूतरे व शेड, पथ मार्ग, पानी टंकी और विद्युत व्यवस्था का निर्माण कराया गया था। लेकिन रखरखाव के अभाव में आज 5 शेड पूरी तरह गिर चुके हैं और शेष 15 की हालत बेहद खराब है। कुछ खंभों से सीमेंट पूरी तरह उखड़ चुका है और वे केवल चार पतली सरियों के सहारे किसी तरह खड़े हैं।
आंधी-तूफान और बारिश में हर पल खतरा
पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण अमरकंटक में अक्सर तेज हवाएं, आंधी और बारिश आती रहती है। जर्जर शेडों के नीचे जहां तीर्थयात्री रात्रि विश्राम करते हैं, वहीं दुकानदार रोजमर्रा का व्यापार करते हैं। यह स्थिति हर दिन दुर्घटना की आशंका को बढ़ा रही है।
प्रशासन को वर्षों पहले दी गई थी जानकारी
स्थानीय नागरिकों और व्यापारी संगठनों ने नगर परिषद को बार-बार अवगत कराया कि शेडों की स्थिति खतरनाक हो चुकी है। पूर्व सीएमओ ने निरीक्षण के बाद शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था, लेकिन आज तक ना कोई मरम्मत हुई और ना ही ढांचे को हटाया गया।
पूर्व व्यापारी संघ अध्यक्ष ने जताई गहरी चिंता
पूर्व व्यापारी संघ अध्यक्ष श्याम लाल सेन ने कहा, “शेडों की हालत वर्षों से खराब है, इन्हें तत्काल गिराया जाना चाहिए। किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है और इसकी ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए।”
प्रशासनिक उदासीनता पर उठ रहे सवाल
एक ओर अमरकंटक को धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रयास हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को लेकर भारी लापरवाही सामने आ रही है।
जनता की मांग
स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों और श्रद्धालुओं की मांग है कि जर्जर ढांचों को तुरंत गिराकर सुरक्षित व स्थायी व्यवस्था की जाए, जिससे कोई जान-माल का नुकसान न हो।
